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जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥ अन्त काल रघुबर पुर जाई ।नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥ जुग सहस्र
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥ अन्त काल रघुबर पुर जाई ।नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥लङ्केस्वर भए सब जग जाना ॥१७॥ जुग सहस्र